Monday, 31 July 2017

इंसानियत की खातिर-(काव्य-संग्रह)मुकेश कुमार यादव

इंसानियत की खातिर - (काव्य-संग्रह) - 
मुकेश कुमार यादव
इंसान जो इंसान की इंसानियत 
की खातिर,
कुर्बानी के लिए रहते हैं, जान 
लेकर भी हाजिर।
इंसानियत के फरिश्ते होते हैं,
ऐसे इंसान,
जमाना होता जिनकी इबादत 
को हाजिर।

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